Hare Krsna,

Please accept my humble obeisances. All glories to Srila Prabhupada & Srila Gopal Krishna Maharaj.

चैतन्य महाप्रभु ने सनातन गोस्वामी को (मध्य लीला 24.334) हरिभक्ति विलास की रूपरेखा बताई जिसमे वे उनसे श्रीविग्रह की पूजा के विषय में बताते हुए कहते हैं तुम पांच,सोलह या पचास वस्तुओं की सूची के अनुसार भगवान की पूजा की विधि का वर्णन करना |

अर्चाविग्रह की पूजा के लिए 5 वस्तुएँ हैं:

1. सुगंध, 2. उत्तम फूल, 3. अगुरु (अगरबत्ती), 4. दीपक  तथा 5. खाद्य वस्तु |

षोडशोपचार में 16 वस्तुएँ होती हैं:

1.आसन अर्पण करना, 2. कृष्ण को बैठने के लिए कहना, 3. अर्ध्य अर्पण करना, 4. पादप्रक्षालन के लिए जल देना, 5. मुख धोना,    6. मधुपर्क अर्पण करना, 7. आचमन, 8. स्नान कराना, 9.वस्त्र अर्पित करना, 10. भगवान को आभूषणों से सजाना, 11. सुगन्ध अर्पित करना,12. गुलाब या चम्पक के फूल अर्पित करना, 13. अगुरु (अगरबत्ती) भेंट करना, 14. दीपक भेंट करना, 15. उत्तम खाद्य वस्तुएँ भेंट करना तथा 16. स्तुति करना |

हरिभक्ति-विलास (ग्यारहवाँ विलास श्लोक 127-140) में श्रीविग्रह की स्थापना होने के बाद पूजा के लिए जो 64 सामग्री चाहिए उसका विस्तृत वर्णन है | ये 64 वस्तुएँ हैं :

1. मंदिर कक्ष के बाहर एक बड़ा सा घंटा लगाना चाहिए |

2. दर्शक घंटा बजाते समय “जय श्री राधा गोविंद” या “जय श्री राधा माधव” अवश्य कहे |

3. दर्शक तुरन्त दण्डवत प्रणाम करे |

4. नियम से मंगल आरती हो |

5. वेदी के समक्ष आसन हो, यह आसन गुरु के लिए होता है |

6. मंगल आरती के बाद अर्चाविग्रह को दांत साफ करने के लिए दातुन भेंट की जाए |

7. चरण धोने के लिए जल दिया जाए |

8. अर्ध्य दिया जाए |

9. आचमन के लिए जल दिया जाए |

10. मधुपर्क (एक कटोरे में शहद,घी,जल,चीनी, दही तथा दूध ) दिया जाए |

11. भगवान के समक्ष खडाऊ रखे जाए |

12. भगवान के शरीर की मालिश की जाए |

13. भगवान के शरीर पर तेल मला जाए |

14. मुलायम स्पंज से भगवान के शरीर से तेल को पोंछा जाए |

15. सुगन्धित जल से भगवान को स्नान कराया जाए |

16. दूध से भगवान को स्नान कराया जाए |

17. दही से भगवान को स्नान कराया जाए |

18. घी से भगवान को स्नान कराया जाए |

19. शहद से भगवान को स्नान कराया जाए |

20. चीनी घुले जल से भगवान को स्नान कराया जाए |

21. तब अर्चाविग्रह को जल से धोया जाए |

22. भगवान के शरीर को तोलियें से पौंछ कर सुखाया जाए |

23. भगवान को नया वस्त्र पहनाया जाए |

24. जनेऊ पहनायें |

25. मुंह साफ करने के लिए जल दिया जाए (आचमन) |

26. सुंगंधित तेल या चन्दन का लेप किया जाए |

27. शरीर में तरह तरह के आभूषण व मुकुट पहनाये जाए |

28. फूल मालाएं पहनायें |

29. अगरबत्ती जलायें |

30. दीपक भेंट करें |

31. अर्चाविग्रह को असुर या नास्तिक हानि न पहुचायें, इसका ध्यान रखें |

32. भगवान के समक्ष भोजन की भेंट रखी जाए |

33. चबाने के लिए सुवासित मसाला दिया जाए |

34. पान (ताम्बुल) दिया जाए |

35. उचित समय पर भगवान के शयन का प्रबन्ध किया जाए |

36. भगवान के बालों को सजा-सवारा जाए |

37. सुन्दर वस्त्र दिए जाए |

38. सुन्दर मुकुट दिया जाए |

39. वस्त्रों को सुगन्धित बनाया जाए |

40. कौस्तुभ मणि तथा अन्य आभूषण दिए जाए |

41. तरह तरह के फूल भेंट किये जाए |

42. दूसरी मंगल आरती की जाए |

43. दर्पण दिखाया जाए |

44. सुन्दर पालकी में रख कर भगवान को वेदी पर लाया जाए |

45. भगवान को सिंहासन पर बिठाया जाए |

46. पादप्रक्षालन के लिए पुनः जल दिया जाए |

47. खाने के लिए पुनः कुछ दिया जाए |

48. संध्या आरती की जाए |

49. चामर डुलाई जाए तथा भगवान के सिर पर छाता ताना जाए |

50. हरे कृष्ण मन्त्र तथा नियत भजन गाये जाए |

51. वाद्य यंत्र बजाये जाए |

52. अर्चाविग्रह के समक्ष नृत्य किया जाए |

53. अर्चाविग्रह की प्रदक्षिणा की जाए |

54. पुनः नमस्कार किया जाए |

55. भगवान के चरण-कमलों पर तरह तरह की स्तुतियाँ की जाए |

56. सिर से भगवान के चरण-कमलों का स्पर्श किया जाए ( पुजारी अवश्य करे) |

57. पिछले दिन अर्पित किये गए पुष्पों का सिर पर स्पर्श किया जाए |

58. भगवान के शेष प्रसाद को ग्रहण करें |

59. भगवान के समक्ष बैठें तथा सोंचे की वह भगवान के पैर दबा रहा है |

60. भगवान के शयन के पूर्व उनके बिस्तर को फूलों से सजायें |

61. भगवान को अपना हाथ अर्पण करें |

62. अर्चाविग्रह को शय्या तक लें जायें |

63. भगवान के पाँव धो कर शय्या पर बिठायें |

64. शय्या पर लिटा कर उनके पाँव दबायें |

प्रतिदिन अर्चाविग्रह की पांच बार आरती की जाए- सूर्योंदय के पूर्व, प्रातःकाल, दोपहर में, संध्या समय तथा रात्री में | खाद्य पदार्थ उत्त्मोतम होने चाहिए | अर्चाविग्रह को राधारानी समेत शय्या में सुलाना चाहिए | इसका संकेत वेदी से खडाऊ को शय्या तक ला कर दिया जाता है | सुलाने के पूर्व अर्चाविग्रह को एक गिलास चीनी मिला दूध पीने के लिए देना चाहिए | तब अर्चाविग्रह को लिटा देना चाहिए और पान-सुपारी तथा मसाला खाने के लिए देना चाहिए | अर्चाविग्रह के पाँव दबाये जाने चाहिए |

हमें भगवान की प्रसन्नता के लिए इनमे से अधिक से अधिक कार्यों का नियमित रूप से पालन करना चाहिए |

हरे कृष्णा

दण्डवत

आपका विनीत सेवक

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